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Ekadashi Fast | Ekadash Vrat Katha

एकादशी व्रत की महिमा, Importance of Ekadashi Vrat

सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है. एकाद्शी व्रत की महिमा कुछ इस प्रकार की है, जैसे सितारों से झिलमिलाती रात में पूर्णिमा के चांद की होती है. इस व्रत को रखते वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. एकाद्शी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

 

एकादशी - यथानाम-तथाफल 
Ekadashi - Result, so as the Name

प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है. अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है. इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृ्ष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है. इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है. जिस वर्ष में अधिक मास होता है. उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है. यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है. इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है.

 

एकाद्शी व्रत के फल 
Result of Ekadashi Vrat

एकाद्शी का व्रत जो जन पूर्ण नियम, श्रद्धा व विश्वास के साथ रखता है, उसे पुन्य, धर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है. यह उपवास, उपवासक का मन निर्मल करता है, शरीर को स्वस्थ करता है, ह्रदय शुद्ध करता है, तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है. तथा उपवास के पुन्यों से उसके पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते है.

 

एकाद्शी व्रत के नियम 
Law of Ekadashi Vrat

व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे उच्च स्थान दिया गया है, इसलिये इस व्रत के नियम भी अन्य सभी व्रत- उपवास के नियमों से सबसे अधिक कठोर होते है. इस उपवास में तामसिक वस्तुओं का सेवन करना निषेध माना जाता है. वस्तुओं में मांस, मदिरा, प्याज व मसूर दाल है. दांम्पत्य जीवन में संयम से काम लेना चाहिए.

 

दातुन में नींबू, जामून या आम की टहनी को प्रयोग करना चाहिए. यहां तक की उपवास के दिन पेड का पत्ता भी नहीं तोडना चाहिए. सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हानि न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. झूठ बोलने और निंदा सुनना भी उपवास के पुन्यों में कमी करता है.


 

Name of Ekadashi

Name of Ekadashi Paksha of Month   Name of Month
Putrda Shukla Paksha   Paush
Shattila Krishna Paksha
Magha
Jaya Shukla Paksha
Magha
Vijaya Krishna Paksha
Falguna
Amlaki Shukla Paksha
Falguna
Papmochni Krishna Paksha
Chaitra
Kamda Shukla Paksha
Chaitra
Varuthini Krishna Paksha
Vaishakh
Mohini Shukla Paksha
Vaishakh
Mohini Shukla Paksha
Vaishakh
Apra Krishna Paksha
Jyeshtha
Nirjla Shukla Paksha
Jyeshtha
Yogini Krishna Paksha
Ashadh
Harishayani Shukla Paksha
Ashadh  
Kamika Krishna Paksha
Shravan
Pavitra Shukla Paksha
Shravan
Aja Krishna Paksha
Bhadrapad
Padma Shukla Paksha
Bhadrapad
Indira Krishna Paksha
Ashwin
Indira Krishna Paksha
Ashwin
Pampakusha Shukla Paksha
Ashwin
Rama Krishna Paksha
Kartik
Devprabodhini Shukla Paksha   Kartik
Uttpanna Krishna Paksha
Margshirsha
Mokshda Shukla Paksha
Margshirsha
Safla Krishna Paksha
Paush

 

एकाद्शी व्रत के फल 
Result of Ekadashi Vrat

एकाद्शी का व्रत जो जन पूर्ण नियम, श्रद्धा व विश्वास के साथ रखता है, उसे पुन्य, धर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है. यह उपवास, उपवासक का मन निर्मल करता है, शरीर को स्वस्थ करता है, ह्रदय शुद्ध करता है, तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है. तथा उपवास के पुन्यों से उसके पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते है.

 

एकाद्शी व्रत के नियम 
Law of Ekadashi Vrat

व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे उच्च स्थान दिया गया है, इसलिये इस व्रत के नियम भी अन्य सभी व्रत- उपवास के नियमों से सबसे अधिक कठोर होते है. इस उपवास में तामसिक वस्तुओं का सेवन करना निषेध माना जाता है. वस्तुओं में मांस, मदिरा, प्याज व मसूर दाल है. दांम्पत्य जीवन में संयम से काम लेना चाहिए.

 

दातुन में नींबू, जामून या आम की टहनी को प्रयोग करना चाहिए. यहां तक की उपवास के दिन पेड का पत्ता भी नहीं तोडना चाहिए. सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हानि न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. झूठ बोलने और निंदा सुनना भी उपवास के पुन्यों में कमी करता है.

 
 
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